सुखाधिकार सुखाधिकार वह स्वत्व है इसे किसी भूमि का स्वामी या दखल रखने वाला इस रूप में उस भूमि के हितकर उपयोग के लिए किसी ऐसी भूमि में या उस पर या उसके संबंध में जो उसकी ना हो कुछ करने और निरंतर करते रहने या किए जा रहे किसी कार्य को रोकने और निरंतर रोके जाने के लिए रखता है उसे सुखाधिकार कहते हैं उदाहरण क किसी विशेष मकान के स्वामी के रूप में अपने मकान के हितकर उपभोग से संबंधित प्रयोजनों के लिए पड़ोसी ख की भूमि पर से मार्ग का स्वतंत्र रखता है यह एक सुखाधिकार है उदाहरण क किसी विशेष मकान के स्वामी के रूप में अपने पड़ोसी ख की भूमि पर जाने और वहां से झरने से अपनी गृहस्थी के लिए पानी लाने का स्वाद तो रखता है यह एक सुखाधिकार है पीकॉक के अनुसार परिभाषा "सुखाधिकार बिना लाभ का एक ऐसा विशेषाधिकार है जो एक आभोगी संपत्ति से प्राप्त करता है जिससे वह संपत्ति का स्वामी अपने संपूर्ण अधिकार के प्रयोग से प्रतिबंधित हो जाता हो जाता है या पूर्व आभोगी के लाभ के लिए कुछ कार्य नहीं करता" सामंड के अनुसार परिभाषा - "सुखा अधिकार वह वैध अधिसेविता है जो एक भूमि खंड में लाभ हेतु अन्य भूमि खंड पर लागू किया जाता है यह वह अधिसेविता नहीं है जिसे लाभ कहा जाता है " सुखाधिकार के प्रकार सुखाधिकार निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं 1 लोक सुखाधिकार 2 निजी सुखाधिकार लोक सुखाधिकार वह है जिसमें सुखाधिकार जैसा हित रखने वाला व्यक्ति कोई व्यक्ति विशेष या वर्ग विशेष नहीं होकर जनसाधारण होता है जबकि निजी सुखाधिकार में ऐसा हित रखने वाला व्यक्ति कोई व्यक्ति विशेष होता है लोग सुखाधिकार सार्वजनिक संपत्ति अथवा अधिकार से संबंधित होता है जो निजी सुखाधिकार निजी संपत्ति एवं अधिकार से होता है निर्मला देवी बनाम रामसहाय का मामला इसका अच्छा उदाहरण है इसमें विवादित भूमि खुली भूमि थी जिसका वह उस भूमि से लगे मोहल्ले वाले उपयोग करते थे प्रतिवादी इस भूमि के पास ही रहता था विवादित भूमि पर ना तो उसका स्वामित्व और ना ही वह उसकी निजी संपत्ति थी .इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा या अभी निर्धारित किया गया कि उस भूमि के उपयोग का मोहल्ले के लोगों का अधिकार है और वह भूमि से खुली ही रहनी चाहिए सुखाधिकार के आवश्यक तत्व 1 अधिभावी एवं अधिसेवी संपत्ति 2 आधिभावी एवं अधिसेवी संपत्तियों का भिन्न होना 3 सुखाधिकार का किसी भूमि के स्वामी या उपभोक्ता की हैसियत से उपभोग 4 सुखाधिकार व्यक्तिगत अधिकार नहीं है 5 सुखाधिकार का प्रयोग हितकर उपभोग के लिए किया जाना 6 अधिसेवी स्वामी को सुखाधिकार उपलब्ध नहीं होना 7 सुखाधिकार का शिकार स्वीकारात्मक या नकारात्मक होना 8 सुखाधिकार का एक लोकलक्षी अधिकार 1 अधिभावी एवं अधिसेवी संपत्ति सुखाधिकार का प्रथम आवश्यक तत्व दो पड़ोसी भूमियों(1) अधिभावी संपत्ति एवं (२) अधिसेवी संपत्ति का होना है। सुखाधिकार भूमि के स्वामित्व से संबंधित अधिकार होता है सामान्यतया यह माना जाता है कि सुखाधिकार संपत्ति के हितकर प्रयोग के लिए होता है अतः एक संपति को उसके हितकारी प्रयोग के लिए कुछ विशेष अधिकार उपलब्ध होते हैं और दूसरी संम्पति पर कुछ दायित्व आरोपित किए जाते हैं वह संपत्ति जिसे कुछ विशेष अधिकार उपलब्ध होते हैं अधिभावी संपति कहलाती है एवं उसका स्वामी अधिभावी स्वामी कहलाता है। वह संम्पति जिस पर कुछ दायित्व आरोपित किए जाते हैं अधिसेवी संपति कहलाती है एवं उसका स्वामी अधिसेवी स्वामी कहलाता है। 2 आधिभावी एवं अधिसेवी संपत्तियों का भिन्न होना~~ सुखाधिकार का दूसरा आवश्यक तत्व अधिभावी और अधिसेवी दोनों संपत्तियों का अलग अलग होना है। जहां दोनों संम्पतिया एक हो, वहां सुखाधिकार की उत्पत्ति नहीं होगी। इतना ही नहीं दोनों संपत्तियों के स्वामी भी अलग-अलग होने आवश्यक हैं सुखाधिकार का तीसरा आवश्यक तत्व किसी व्यक्ति द्वारा भूमि के स्वामी या अधिभोक्ता की हैसियत से सुखाधिकार का उपभोग किया जाना है सुखाधिकार स्वयं पूर्ण नहीं होता है अथवा या किसी भूमि के उपभोग या स्वामित्व से पृथक नहीं होता है उदाहरणार्थ यदि किसी व्यक्ति के पास भूमि नहीं है तो उसे किसी प्रकार का सुखाधिकार प्राप्त नहीं होगा उसे केवल व्यक्तिगत अधिकार प्राप्त होंगे जो स्वयं में पूर्ण होंगे सुखाधिकार उस भूमि से संबंध रहता है जिसके हितकर उपभोग के लिए या सृष्ठ किया जाता है 4 सुखाधिकार व्यक्तिगत अधिकार नहीं है~~ जैसा कि ऊपर खंड 3 में या स्पष्ट किया जा चुका है कि सुखाधिकार किसी संम्पति से संबंध है या संलग्न अधिकार है या विशुद्ध रूप से किसी अधिभावी स्वामी या किसी अन्य व्यक्ति का व्यक्तिगत अधिकार नहीं है। 5 सुखाधिकार का प्रयोग हितकर उपभोग के लिए किया जाना ~~ सुखाधिकार का पांचवा आवश्यक तत्व अधिभावी स्वामी द्वारा अपनी अधिभावी संपत्ति को अपेक्षाकृत और अधिक हितकर एवं उपयोगी बनाने के लिए सुखाधिकार का प्रयोग किया जाना है। शब्द "हितकर उपभोग" से संभावित सुविधा दूरस्त लाभ एवं मात्र प्रसन्नता भी सम्मिलित है इनमें वे समस्त संभावित सुख निहित है जो अधिष्ठायी संम्पति के हितकर उपभोग के लिए अनुसेवी संपत्ति से प्राप्त किए जा सकते हैं 6 अधिसेवी स्वामी को सुखाधिकार उपलब्ध नहीं होना ~सुखाधिकार का अधिकार सिर्फ अधिभावी स्वामी को ही प्राप्त होता है अधिसेवी स्वामी कोई अधिकार नहीं होता है फिर या अधिकार किसी भूमि के स्वामी और आभोक्ता द्वारा ही प्रयोग में लाया जा सकता है किसी अनुज्ञप्तिधारी द्वारा नहीं। 7 सुखाधिकार का शिकार स्वीकारात्मक या नकारात्मक होना ~~ जिस सुखाधिकार के द्वारा अधिभावी स्वामी अधिक सेवी स्वामी की संपत्ति पर कुछ कार्य करता है तो उसे स्वीकारात्मक सुखाधिकार कहते हैं और यदि अधिसेवी स्वामी को कुछ कार्य करने से रोक दिया जाता है तो उसे नकारात्मक सुखाधिकार कहते हैं। धारा 5 के अनुसार सुखाधिकार के प्रकार 1 अविच्छिन्न सुखाधिकार २ विच्छिन्न सुखाधिकार 3 प्रत्यक्ष सुखाधिकार 4 अप्रत्यक्ष सुखाधिकार 1अविच्छिन्नसुखाधिकार===> 1 अविच्छिन्नसुखाधिकार से अभिप्राय ऐसे अधिकार से हैं जिसका उपयोग मनुष्य के किसी कार्य के बिना ही निरंतर जारी है या रहे अर्थात यह एक ऐसा अधिकार है जिसका उपभोग किसी व्यक्ति के हस्तक्षेप के बिना ही किया जा सकता है इसके लिए किसी मानवीय कार्य की अपेक्षा नहीं होती उदाहरणार्थ रोशनी या हवा प्राप्त करने का अधिकार अविच्छिन्न सुखाधिकार है एक ओर से दूसरी भूमि पर जाने वाली नाली एक अविच्छिन्न सुखाधिकार है २ विच्छिन्न सुखाधिकार====> विच्छिन्न सुखाधिकार से अभिप्राय ऐसे अधिकार से है जिसकी उपभोग के लिए मनुष्य के कार्य की आवश्यकता होती है अर्थात या एक ऐसा अधिकार है जिसके उपभोग में किसी व्यक्ति के हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है उदाहरणार्थ मार्गाधिकार एवं विच्छिन्न सुखाधिकार है क्योंकि इसके उपयोग के लिए मानवीय कार्य की आवश्यकता पड़ती है 3 प्रत्यक्ष सुखाधिकार प्रत्यक्ष सुखाधिकार से तात्पर्य ऐसे अधिकार से है जिसका अस्तित्व किसी स्थाई चिन्ह से प्रकट होता है अर्थात ऐसा दिखाओ जो संपत्ति की किसी बाहरी स्थाई चिनिया संकेत द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता हूं प्रत्यक्ष सुखाधिकार कहलाता है या स्थाई चिनेसे हो सकते हैं जो या तो सभी व्यक्तियों को स्पष्ट दिखाई देते हैं या फिर ऐसे हो सकते हैं जिसको किसी सक्षम व्यक्ति के निरीक्षण द्वारा ही देखा जा सकता है उदाहरणार्थ के लिए खिड़कियां दरवाजे रोशनदान आज चीजें हैं 4 अप्रत्यक्ष सुखाधिकार====> अप्रत्यक्ष सुखाधिकार से अधिकार से है जिसके उपभोग किए जाने वाली वस्तु नहीं होते हैं जिससे कि किसी व्यक्ति द्वारा उसे देखा जा सके उदाहरणार्थ अ के मकान से संबंध यह अधिकार जो ब की भूमि पर मकान बनाने से निर्धारित करता है एक अप्रत्यक्ष सुखाधिकार है इस प्रकार इस धारा से स्पष्ट है कि कोई भी सुखाधिकार प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष अथवा विच्छिन्न अविच्छिन्न कैसा भी हो सकता है इसलिए मार्गाधिकार के लिए आवश्यक नहीं है कि अविच्छिन्न ही हो